पिछले कुछ समय (AIADMK) से एआईएडीएमके के सांसदों द्वारा कावेरी मैंनेजमेंट बोर्ड के गठन को लेकर संसद में विरोध प्रदर्शन जारी है। जिसकी वजह से संसद की कार्यवाही रोज टाल दी जा रही है। इस विरोध में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री इडापड्डी के. पलानीस्वामी और उपमुख्यमंत्री ने भी भूख हड़ताल शुरू कर दी है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर जिस चीज को लेकर ये विरोध प्रदर्शन हो रहा है आखिर उसकी शुरूआत कब हुई और इसके पीछे मुद्दा का क्या है।
आइए आसान शब्दों में इसे समझते हैं
दरअसल कावेरी नदी के पानी को लेकर विशेष तौर पर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच दशकों से विवाद चला आ रहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला भी सुनाया है और कहा है कि नदी के पानी पर किसी भी राज्य का मालीकाना हक नहीं है वो सबके लिए है। कावेरी नदी कर्नाटक के कोडागु जिले से निकलती है और तमिलनाडु के पूमपुहार में बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। कर्नाटक में कावेरी नदी 32 हजार वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है वहीं तमिलनाडु में ये 44 हजार किलोमीटर तक फैली हुई है।
मुंहफट |
इस विवाद को 137 साल हो चुके हैं। उस वक्त तमिलनाडु मद्रास राज्य कहलाता था और कर्नाटक मैसूर राज्य। साल 1881 की बात है जब मैसूर राज्य ने इस पर बांध बनाने का फैसला लिया था लेकिन मद्रास राज्य ने इस पर विरोध जताया जिसके बाद अंग्रेजों की मध्यस्थता के बाद साल 1924 में जाकर एक फैसला लिया लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ और आज भी ये विवाद जारी है।
Journlist Shashank Sharma |
आजादी के बाद लिए गये फैसले
वैसे तो ये विवाद मुख्यता तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच है लेकिन कावेरी नदी के पानी पर देश के चार राज्य शामिल जिनमें केरल और पुद्दुचेरी शामिल हैं। विवाद को देखते हुए फिर 1990 में कावेरी जल विवाद ट्राईब्यूनल (CWDT) का गठन किया गया। जिसके बाद 2007 में जाकर (CWDT) ने अपने आदेश जारी किये लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसपर अधिसूचना जारी कर दी। ट्राईब्यूनल ने अपने फैसले में तमिलनाडु को 419 टीएमसी फीट कर्नाटक को 270 टीएमसी फीट व केरल और पुद्दुचेरी को 30 और 7 टीएमसी फीट पानी आवंटित किया था।
लेकिन विवाद एक बार फिर तब जाकर शुरु हो गया जब (CWDT) ने 100 साल की औसत जल उपलब्धता के आधार पर यह अंदाजा लगाया कि इसका आधा जल ही इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो तो ही 740 फुट टीएमसी जल मिल सकता है। ट्राइब्न्यूनल ने कर्नाटक को आदेश दिया कि उसे जून से लेकर मई तक हर साल 192 टीएमसी फुट पानी छोड़ना होगा। लेकिन कर्नाटक का कहना था कि खराब मानसून वाले साल में पानी की कमी हो जाती है जिसकी वजह से इतनी मात्रा में पानी को छोड़ना संभव नहीं होगा। ट्राइब्न्यूनल द्वारा दिये गये इस आदेश ने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच एक बार फिर विवाद का बीज बो दिया।
जिसके बाद तमिलनाडु ने बार फिर सुप्रीम कोर्ट के सामने गुहार लगाई कावेरी नदी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को ये आदेश जारी करते हुए कहा कि वो उसे 10 दिनों तक लगातार हर रोज 15000 क्यूसेक पानी दे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद वहां हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गया था।
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