Friday, 13 April 2018

पुलिस के अत्याचार से मेरे देश को बचाओ...भारत का एक लाचार पिता


मेरा मन...

ल रात सभी ने मेरी बिटिया और आसिफा बिटिया को न्याय दिलाने के लिए इंडिया गेट पर कैंडल मार्च निकाला। मैंने ऊपर से सब कुछ देखा दिल को बहुत सुकून मिला लेकिन इस भीड़ में मेरी मौत का जिक्र कहीं नही था थोड़ा सा बुरा लगा कि वहां मौजूद राहुल गांधी प्रियंका गांधी ने मेरी मौत पर कोई अफसोस नहीं जताया। ख़ैर मेरी बिटिया को इंसाफ मिल जाए और उस मासूम सी जान के कातिल को फांसी पर चढ़ा दिया जाए इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए।


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पर जेल में उन लोगों ने मुझे बहुत मारा मेरी एक न सुनी बस लगातार मारते ही गए और इतना मारा की मेरे प्राण ही निकल गए। मैं उनसे बार बार यही पूछ रहा था साहब मेरा क्या कसूर मेरा क्या कसूर है मुझे क्यों मार रहे हो। अन्याय तो हमारे साथ हुआ आपको तो हमारा साथ देना चाहिए इसीलिए तो सरकार द्वारा आप नियुक्त किये गए हैं। लेकिन वो पुलिस वाले कहाँ सुनने वाले थे वो तो बस मारते ही रहे। मैंने सोचा था कि वो लोग मेरी मदद करेंगे पर उन लोगो ने ही मेरी जान ले ली।

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क्या पुलिस को हत्या करने का लाइसेंस मिला है या फिर वो जितना चाहे उतना मार सकती है। क्या कोई गरीब इंसान पुलिस के पास गुहार लगाने जाएगा? जब समाज में कमजोर लोगों पर अत्याचार होता है तो उसमें से बाघी जन्म लेता है जिसको बाद में लोग अपराधी और न जाने किन किन शब्दों से बुलाने लगते हैं।


कृप्या कमेंट बोक्स में अपनी टिप्पणी देकर सुझाव दें।

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