इससे पहले की मैं आपको इस मुद्दे पर पूरी जानकारी दूं। पहले आप इस तस्वीरों पर एक नजर डालिए। ये तस्वीरें मैंने Indian Express की साइट से ली है।
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इस पूरे बवाल के पीछे की वजह
दरअसल ये लड़ाई मुख्यता TDP (Telgu Dessam party) और BJP के बीच की है। TDP का कहना है कि BJP ने उसे धोखा दिया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि बीजेपी अपने वादे से मुकर रही है। इसने वादा किया था कि साल 2014 में उसकी सरकार बनने के बाद वे आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देगी और साथ ही में AP Reorganisation Act, 2014 को भी लागू करेगी। दरअसल साल 2014 में तेलंगाना के गठन के बाद से ही ये मांगे उठ रही हैं।
जब किसी राज्य को Special Status की श्रेणी में जगह प्राप्त हो जाती है तो उसे केंद्र सरकार की तरफ से 90 प्रतिशत का फंड आवंटित किया जाता है और बाकि का फंड राज्य सरकार अपनी तरफ से लगाती है। जो कि सामान्य राज्यों को केंद्र की तरफ से 60 प्रतिशत का फंड मिलता है। वैसे कायदे में देखा जाये तो संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। लेकन फिर भी जिन राज्यों की भौगोलिक स्थिति सही नहीं रहती उसे NDC (National Development Council) की तरफ से केंद्र द्वारा मदद मिलती है। हालांकि The 14th Finance Commission के अतंर्गत अब इसे भी समाप्त कर दिया गया है।
कौन से हैं वो राज्य जिन्हें विशेष दर्जा प्राप्त है
वर्तमान में देश के 11 राज्यों को विशेष राज्यों की श्रेणी में रखा गया है। साल 1960 में पहली बार जम्मू और कश्मीर, असम और नागालेंड को विशेष राज्य का दर्जा मिला जिसके एक साल बाद ही 7 राज्य और इस लिस्ट में शामिल हो गये। जैसे अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश,मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा। वहीं 2010 में उत्तराखंड को भी इस लिस्ट में शामिल कर दिया गया।
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धन्यवाद
मुंहफट |
Journlist Shashank Sharma |
Shashank Sharma |
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