Monday, 16 April 2018

आसिफा को इंसाफ दिलाने की बात करने वाले दे रहे हैं ऐसी गालियां

पिछले कई दिनों से उन्नाव और कठुआ रेप केस को लेकर सोशल मीडिया पर जम कर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। लेकिन इनमें से कुछ लोग ऐसे भी है जो विरोधी होने बावजूद उन बलात्कारियों से कम नहीं है जिन्होंने उस घिनौनी हरकत को अंजाम दिया। विरोध करते करते वे ये तक भूल गये कि वो लिख क्या रहे हैं और किसका गुस्सा किस पर उतार रहे हैं।



ये फेसबुक पोस्ट किसी Page For India पेज पर पोस्ट समें गयी है जहाँ ये सवाल लिखा हुआ है कि आसिफा की ये तस्वीर किसने खींची। क्योंकि वो इन्ही कपड़ों में मृत्य अवस्था में पाई गई थी। ये सवाल देखकर मुझे भी काफी गुस्सा आया कि आखिर ये साबित क्या करना चाहता है। लेकिन जब मैंने नीचे कमेंट पर जाकर देखा तो वहां आसिफा के (कथित तौर पर) भाई वही सब करने की बाते कर रहे थे जो आसिफा के साथ हुआ है। 







अब यहां पर ये सवाल उठता है कि ये सभी लोग किस मुंह से आसिफा को न्याय दिलाने की बात कर रहे हैं जब ये लोग खुद ही करने वाले कि मां और बहन के बारे में ऐसी बातें बोल रहे हैं।   

इस लिंक पर जाकर आप इस पोस्ट को देख सकते हैं...

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1635432963159139&id=758647800837664#_=_


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क्या है section 164 CrPC ?

#Unnao_rape_victim ने आज section 164 CrPC के तहत अपना बयान CBI court में दर्ज करा दिया है। 

तो आइए जानते हैं क्या है section 164 CrPC

दरअसल इसी धारा के तहत कोई अपराधी अपना जुर्म कबूल करता है या फिर कोई किसी का बयान दर्ज करता है न कि पुलिस के सामने बल्कि कोर्ट के सामने और उन्नाव मामले में यहां रेप विक्टिम ने अपना बयान दर्ज किया है।

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि पुलिस के सामने दिया हुआ बयान और कोर्ट के सामने दिया हुआ बयान एक हो क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि पुलिस के दबाव में आने का बाद लोग थाने में उन्हें पुलिस की मार की वजह से झूठ बोलना पड़ता है और वैसे भी कोर्ट को पुलिस की बातों पर भरोसा नहीं है उनके सामने दिये हुए बयान की मान्यता भी नहीं है।

Indian Evidence Act के section 25 में भी यही बोला गया है और crpc के section 162 में भी यही कहा गया है कि पुलिस के सामने दिये बयान को बहुत ही लिमिटेड पर्रपज के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। कोर्ट के सामने दिया हुआ बयान ही सही बयान माना जाता है और उसे ही आधिकारिक तौर पर दर्ज किया जाता है। 


Shashank Sharma

कोर्ट के सामने झूठा बयान देने पर..


अब यहां पर ये बात आती है कि अगर आपने कोर्ट के सामने झूठा बयान दिया है और जांच पड़ताल के बाद इसका पता चला जाता है तो आपको किस प्रकार की सजा हो सकती है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि ऐसे में आप पर crpc के section 340 के तहत अदालत द्वारा शिकायत दर्ज की जाएगी और IPC के Section 193 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। दोषी पाये जाने पर आपको 7 साल की सजा हो सकती है।  


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Friday, 13 April 2018

ये वही विधायक हैं जो हाथ जोड़े वोट मांगते हैं

लो मान लेते हैं कि कोई एक इंसान ये बोले की वो इंसान गलत है तो हो सकता है वो झूठ बोल रहा हो। पर जब 1 से ज्यादा लोगों द्वारा एक ही बात कहीं जाने लगे तो उसपर विचार करना चाहिए।

आपको पता है बीजेपी के विधायक आजकल यही काम कर रहे जिससे लोगों को ये पूरी तरह से विश्वास हो जाये कि ये निक्कमी सरकार है। लेकिन तकनीकी भाषा में इसे समझा जाये तो ये सरकार निकम्मी नही है उसके द्वारा चुने गए ये विधायक निकम्मे हैं जो बीजेपी को पूरी तरह से डुबाने में लगे  हैं। इन विधायकों ने तानाशाही की हद पार कर दी है।

ब एक हो तो बताया भी जाए यहां तो टीम है पूरी। कुछ दिनों पहले  अमन मणि त्रिपाठी पर किसी व्यापारी की जमीन हथियाने का आरोप लगा था हालांकि वो बीजेपी से नही हैं लेकिन कहा जाता है कि वे यूपी सीएम आदित्यनाथ के काफी करीबी हैं। 

उसके बाद उन्नाव के विधायक पर रेप के आरोप लगे हांलाकि वो अभी पुलिस हिरासत में है लेकिन आरोप तो लग ही गये न

लेकिन अभी उन्नाव का मामला शांत नहीं हुआ कि एक और विधायक का नाम सामने आकर खड़ा हो गया है। ये तीसरी घटना हमीरपुर की है जहां के विधायक अशोक चंदेल ने एक महिला की जमीन पर कब्ज़ा कर लिया है।

वाल यहां पर ये उठता है कि उत्तर प्रदेश की जिम्मेंदारी जिन विधायकों को दी गयी है वही आज कठघरे में आकर खड़े हो गए हैं। अगर ऐसे ही एक के बाद एक सभी विधायकों पर आरोप लगते गए तो कैसे चलेगा राज्य।

इस सरकार का गिरना तय है अगर ऐसी ही दशा बनी रही। 

पुलिस के अत्याचार से मेरे देश को बचाओ...भारत का एक लाचार पिता


मेरा मन...

ल रात सभी ने मेरी बिटिया और आसिफा बिटिया को न्याय दिलाने के लिए इंडिया गेट पर कैंडल मार्च निकाला। मैंने ऊपर से सब कुछ देखा दिल को बहुत सुकून मिला लेकिन इस भीड़ में मेरी मौत का जिक्र कहीं नही था थोड़ा सा बुरा लगा कि वहां मौजूद राहुल गांधी प्रियंका गांधी ने मेरी मौत पर कोई अफसोस नहीं जताया। ख़ैर मेरी बिटिया को इंसाफ मिल जाए और उस मासूम सी जान के कातिल को फांसी पर चढ़ा दिया जाए इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए।


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पर जेल में उन लोगों ने मुझे बहुत मारा मेरी एक न सुनी बस लगातार मारते ही गए और इतना मारा की मेरे प्राण ही निकल गए। मैं उनसे बार बार यही पूछ रहा था साहब मेरा क्या कसूर मेरा क्या कसूर है मुझे क्यों मार रहे हो। अन्याय तो हमारे साथ हुआ आपको तो हमारा साथ देना चाहिए इसीलिए तो सरकार द्वारा आप नियुक्त किये गए हैं। लेकिन वो पुलिस वाले कहाँ सुनने वाले थे वो तो बस मारते ही रहे। मैंने सोचा था कि वो लोग मेरी मदद करेंगे पर उन लोगो ने ही मेरी जान ले ली।

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क्या पुलिस को हत्या करने का लाइसेंस मिला है या फिर वो जितना चाहे उतना मार सकती है। क्या कोई गरीब इंसान पुलिस के पास गुहार लगाने जाएगा? जब समाज में कमजोर लोगों पर अत्याचार होता है तो उसमें से बाघी जन्म लेता है जिसको बाद में लोग अपराधी और न जाने किन किन शब्दों से बुलाने लगते हैं।


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Wednesday, 11 April 2018

एक समर्थक की खुली चिठ्ठी : मोदी जी योगी जी ये गरीबों का देश नहीं है

आदरणीय 

मोदी जी एवं योगी जी 


सादर प्रणाम,



ये गरीबों का देश नही है यहां गरीबो को न्याय नही मिल सकता यहां चंद अमीर और ताकतवर लोग लोग ही  सुकून भरी जिंदगी जी सकते हैं जैसे कि, सलमान खान। यहां बेकसूर इंसान भी इंसाफ पाने के लिए डरता है क्योंकि देश का माहौल ही ऐसा बना रखा है। इंसाफ मांगने जाओ तो पुलिस उल्टा पीटने लगती है और चौकी पर बिठाकर रखती है।


मामला कोर्ट में चला जाये तो वकील लूट लेते हैं और जज साहब की बात करे तो वो तारीख दे दे कर वकीलों का जेब भरते रहते हैं। उसके बाद भी न्याय नही मिलता है और मामला रफ दफा करने की बात की जाती है। पिटे हम दो साल पहले और मामला रफा दफा होता है दो साल बाद। अरे यही करना था तो उसी समय कर लेते।

इसीलिए बेकसूर लोग भी इन लफड़ों में पड़ना नहीं चाहते क्योंकि उनको पता है इस देश में उन्हें इंसाफ नहीं मिल सकता।


Click Here : मुंहफट 


मोदी जी और योगी जी मैं आप दोनो कट्टर समर्थक था खासकर योगी जी का तो मैं दीवाना था। लेकिन उन्नाव में हुई घटना के बाद आप दोनो में से किसी का भी ऐसा बयान नही आया जिससे मेरा सीना चौड़ा हो सके कि हां मैं जिसको न्याय की मूर्ति मानता था वो सही मायने में वैसे ही है। अरे जिस तरह से आप दोनों मंच पर खड़े होकर दहाड़ते है बस एक बार ऐसे ही चीख कर बोल देते की हम तुम्हारे साथ हैं बेटा तुम चिंता मत करो। मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या उस विधायक के बिना सरकार नही चल सकती। 

योगी जी मोदी जी जिसके साथ रेप हुआ उसको देख कर मेरी रूह कांप गयी है। वो लड़की तो रोते रोते बेहोश हो जा रही है और उसके पिता की वीडियो जो बार बार मेरे सामने आ रही है उसको बार बार देखकर मेरी आंसू आ जा रहे हैं। क्या आपके आंखों में आंसू नहीं आ रहे हैं। उसके पिता की क्या गलती थी उसको क्यों मार डाला।


अगर आप अपने समर्थकों से जरा सा भी प्यार करते हैं तो उस लड़की को जल्द से जल्द इंसाफ दिलाइए वरना आप एक समर्थक खो देंगे।


प्रणाम


Tuesday, 10 April 2018

इस Act ने ली है उन्नाव के रेप पीड़िता के पिता की जान



क्या आपको पता हमारे देश में एक Act  अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है। जी हां Indian police Act 1861 को अंग्रजों ने अपनी सुविधा के अनुसार बनाया था ताकि उनके सामने कोई ऊँची आवाज़ में बात तक न कर सके। लेकिन आज भी हमारा देश उस कानून को ढो रहा है आखिर क्यों? अंग्रेज़ो द्वारा बनाये गए हर कानून में बदलाव किये गए लेकिन ये कानून आज भी जस को तस चल रहा है। 

जितना हमारे देश के अपराधी पुलिस से नही डरते हैं उससे ज्यादा तो देश की भोली भाली आम जनता डरती है कि कहीं दरोगा जी हमे बिना किसी बात के पेल न दें और दरोगा जी भी क्यों नहीं पेलेंगे उनके लिए तो एक्ट बना हुआ है।
यूपी के उन्नाव जिले के माखी गांव की एक महिला ने विधायक कुलदीप सेंगर और उनके भाइयों पर गैंगरेप का आरोप लगाया। लेकिन आरोपियों को पकड़ने की बजाय ये पुलिस वाले महिला के पिता को ही उठा कर ले गए और जमकर हुकाई की और ऐसी हुकाई की कि वो मर ही गया।
लेकिन दूसरा भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर और जेल प्रशासन ने मौत की वजह बीमारी बताई। लेकिन पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आ गयी है जो चीख चीख कर ये बता रही है कि उसकी मौत पिटाई की वजह से हुई है। अब देखने ये होगी कि क्या उन पुलिस वालों को सजा मिलती है या फिर सस्पेंड करके जांच बिठा दी जाती है।    
इस घटना को देखते हुए मुझे लाल लाजपत राय की याद आ गयी कुछ ऐसा ही उनके साथ भी हुआ था। जब साइमन द्वारा उनपर लाठियां बरसाई गयी थी जिसकी वजह से उनकी मौत हो गयी थी। जब भगत सिंह ने इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया तो अदालत ने फैसला देते हुए ये कहा कि ये सभी चीज़े तो कानून के आधार हुई है इसमें उनकी मौत हो गयी तो हम क्या करे। 

यहां बस फर्क पर इतना है उस वक्त लाला लाजपत राय थे और यहां एक सीधा साधा आम नागरिक था। उस वक्त अंग्रेज थे और इस बार अपने ही लोग...


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Monday, 9 April 2018

बहनों की जिंदगी में क्या मायने रखता है एक भाई....


दुबला पतला होने के बाद भी अच्छे अच्छे पहवालों से भिड़ जाता है वो होता है एक भाई। बहन की हर गलती पर पर्दा डलाने वाला होता है एक भाई। कुछ उसे हो जाए तो खुद भी रोने वाला होता है एक भाई। उसके सामने एक चट्टान के तरह खड़ा रहने वाला होता है एक भाई।

उसकी आंखों में आंसू देखकर दुनिया को आग लगाने को तैयार रहने वाला होता है एक भाई। बहनों के लिए मुफ्त का अंगरक्षक होता है एक भाई। बहन की एक आवाज पर मीलो से भी दौड़ा चले आने वाला होता है एक भाई। 

उसकी हर परेशानी को अपनी परेशानी मानने वाला होता एक भाई। उसके लिए पूरी दुनिया को अपना दुश्मन बनाने के लिए तैयार रहने वाला होता है एक भाई। 

भाई तो आखिर भाई होता है, सामने भले ही नहीं रोता है पर दिल तो उसका भी होता है...बहन की सुरक्षा से बड़ी एक भाई की कोई और जिम्मेदारी नहीं होती है।   

बहनों की जिंदगी में एक भाई की जगह कोई नहीं ले सकता...भाई बहुत अनमोल है उसका दिल न दुखाओ क्योंकि सिर्फ वही है जो मां बाप के बाद आपकी तकलीफों को समझता है। 

Sunday, 8 April 2018

क्या है ये Special Status का दर्जा



पिछले कई दिनों से आप सभी लोग न्यूज और अखबारों में ये देख रहे होंगे कि आंध्र प्रदेश की सरकार Special Status देने की मांग उठ रही है। जिसको लेकर संसद से लेकर सड़क तक हर जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इस मांग के पीछे की वजह क्या है और अगर आंध्र प्रदेश को Special Status की श्रेणी में डाल दिया जाये तो उससे क्या लाभ होगा।

इससे पहले की मैं आपको इस मुद्दे पर पूरी जानकारी दूं। पहले आप इस तस्वीरों पर एक नजर डालिए। ये तस्वीरें मैंने Indian Express की साइट से ली है।

तस्वीर 1

तस्वीर 2

तस्वीर 3


इस पूरे बवाल के पीछे की वजह

दरअसल ये लड़ाई मुख्यता TDP (Telgu Dessam party) और BJP के बीच की है। TDP का कहना है कि BJP ने उसे धोखा दिया है। आंध्र प्रदेश  के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि बीजेपी अपने वादे से मुकर रही है। इसने वादा किया था कि साल 2014 में उसकी सरकार बनने के बाद वे आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देगी और साथ ही में AP Reorganisation Act, 2014 को भी लागू करेगी। दरअसल साल 2014 में तेलंगाना के गठन के बाद से ही ये मांगे उठ रही हैं।

क्या है ये Special Status का दर्जा

जब किसी राज्य को Special Status की श्रेणी में जगह प्राप्त हो जाती है तो उसे केंद्र सरकार की तरफ से 90 प्रतिशत का फंड आवंटित किया जाता है और बाकि का फंड राज्य सरकार अपनी तरफ से लगाती है। जो कि सामान्य राज्यों को केंद्र की तरफ से 60 प्रतिशत का फंड मिलता है। वैसे कायदे में देखा जाये तो संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। लेकन फिर भी जिन राज्यों की भौगोलिक स्थिति सही नहीं रहती उसे NDC (National Development Council) की तरफ से केंद्र द्वारा मदद मिलती है। हालांकि The 14th Finance Commission के अतंर्गत अब इसे भी समाप्त कर दिया गया है।

कौन से हैं वो राज्य जिन्हें विशेष दर्जा प्राप्त है

वर्तमान में देश के 11 राज्यों को विशेष राज्यों की श्रेणी में रखा गया है। साल 1960 में पहली बार जम्मू और कश्मीर, असम और नागालेंड को विशेष राज्य का दर्जा मिला जिसके एक साल बाद ही 7 राज्य और इस लिस्ट में शामिल हो गये। जैसे अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश,मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा। वहीं 2010 में उत्तराखंड को भी इस लिस्ट में शामिल कर दिया गया।


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धन्यवाद   



मुंहफट

Journlist Shashank Sharma

Shashank Sharma




Friday, 6 April 2018

जब कोर्ट ने संजीता की नहीं सुनी थी गुहार

संजिता चानू


भारत के लिए दूसरी बार स्वर्ण पदक हासिल कर संजीता चानू ने इतिहास रच दिया है। इससे पहले उन्होंने साल 2014 में ग्लास्गो कॉमनवेल्थ में 48 किग्रा कैटेगरी में यह पदक जीता था। कॉमनवेल्थ गेम्स के स्नैच में सबसे ज्यादा वजन उठाने का रिकॉर्ड पहले भारत की स्वाति सिंह के नाम था। ये सभी बातें तो हर जगह सुर्खियों में है लेकिन

मैं आपको बताता हूं संजीता चानू से जुड़ी वो बाते जो शायद ही आपको पता हो... 

24 वर्षिय संजीता मणिपुर की रहने वाली हैं। उनका जन्म 2 जनवरी 1994 को हुआ था। क्या आपको पता है संजीता चानू रेलवे कर्मचारी हैं।


Click On : Shashank Sharma 
 विवादों में रह चुकी हैं चानू 

बात साल 2017 की है। जब उनका नाम अर्जुन पुरुष्कार के लिए नहीं आया तो वे काफी मायूस हुईं लेकिन वे चुप नहीं बैठी उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हांलाकि कोर्ट ने उनकी इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। 

Journlist Shashank Sharma
अब तक की उप्लब्धियां 

2011 एशियन वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता।

2012 में उन्होंने कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता।

2014 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ में 48 किग्रा कैटेगरी में गोल्ड जीता।

21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में 53 किग्रा कैटेगरी में दूसरा गोल्ड जीता।


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Tuesday, 3 April 2018

Cauvery issue : आज का नहीं 137 साल पुराना है ये विवाद



पिछले कुछ समय (AIADMK) से एआईएडीएमके के सांसदों द्वारा कावेरी मैंनेजमेंट बोर्ड के गठन को लेकर संसद में विरोध प्रदर्शन जारी है। जिसकी वजह से संसद की कार्यवाही रोज टाल दी जा रही है। इस विरोध में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री इडापड्डी के. पलानीस्वामी और उपमुख्यमंत्री ने भी भूख हड़ताल शुरू कर दी है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर जिस चीज को लेकर ये विरोध प्रदर्शन हो रहा है आखिर उसकी शुरूआत कब हुई और इसके पीछे मुद्दा का क्या है। 

आइए आसान शब्दों में इसे समझते हैं

दरअसल कावेरी नदी के पानी को लेकर विशेष तौर पर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच दशकों से विवाद चला आ रहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला भी सुनाया है और कहा है कि नदी के पानी पर किसी भी राज्य का मालीकाना हक नहीं है वो सबके लिए है। कावेरी नदी कर्नाटक के कोडागु जिले से निकलती है और तमिलनाडु के पूमपुहार में बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। कर्नाटक में कावेरी नदी 32 हजार वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है वहीं तमिलनाडु में ये 44 हजार किलोमीटर तक फैली हुई है।

मुंहफट

कब हुई शुरुआत 

इस विवाद को 137 साल हो चुके हैं। उस वक्त तमिलनाडु मद्रास राज्य कहलाता था और कर्नाटक मैसूर राज्य। साल 1881 की बात है जब मैसूर राज्य ने इस पर बांध बनाने का फैसला लिया था लेकिन मद्रास राज्य ने इस पर विरोध जताया जिसके बाद अंग्रेजों की मध्यस्थता के बाद साल 1924 में जाकर एक फैसला लिया लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ और आज भी ये विवाद जारी है।
Journlist Shashank Sharma


आजादी के बाद लिए गये फैसले 

वैसे तो ये विवाद मुख्यता तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच है लेकिन कावेरी नदी के पानी पर देश के चार राज्य शामिल जिनमें केरल और पुद्दुचेरी शामिल हैं। विवाद को देखते हुए फिर 1990 में कावेरी जल विवाद ट्राईब्यूनल (CWDT) का गठन किया गया। जिसके बाद 2007 में जाकर  (CWDT) ने अपने आदेश जारी किये लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसपर अधिसूचना जारी कर दी। ट्राईब्यूनल ने अपने फैसले में तमिलनाडु को 419 टीएमसी फीट कर्नाटक को 270 टीएमसी फीट व केरल और पुद्दुचेरी को 30 और 7 टीएमसी फीट पानी आवंटित किया था।

लेकिन  विवाद एक बार फिर तब जाकर शुरु हो गया जब (CWDT) ने 100 साल की औसत जल उपलब्धता के आधार पर यह अंदाजा लगाया कि इसका आधा जल ही इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो तो ही 740 फुट टीएमसी जल मिल सकता है। ट्राइब्न्यूनल ने कर्नाटक को आदेश दिया कि उसे जून से लेकर मई तक हर साल 192 टीएमसी फुट पानी छोड़ना होगा। लेकिन कर्नाटक का कहना था कि खराब मानसून वाले साल में पानी की कमी हो जाती है जिसकी वजह से इतनी मात्रा में पानी को छोड़ना संभव नहीं होगा। ट्राइब्न्यूनल द्वारा दिये गये इस आदेश ने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच एक बार फिर विवाद का बीज बो दिया।

जिसके बाद तमिलनाडु ने बार फिर सुप्रीम कोर्ट के सामने गुहार लगाई कावेरी नदी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को ये आदेश जारी करते हुए कहा कि वो उसे 10 दिनों तक लगातार हर रोज 15000 क्यूसेक पानी दे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद वहां हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गया था।   



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